Friday 2 December 2011

सरकारी अफसर रिश्वत मांगे तो



सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। इनकी रोकथाम के लिए 2003 में 'सेंट्रल विजिलेंस कमिशन' बिल पास किया गया। आइए जानते हैं, क्या है सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) और कब कर सकते हैं यहां शिकायत:

अधिकार क्षेत्र में आनेवाले मंत्रालय/विभाग

केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग, केंद्र सरकार के सभी पीएसयू, नैशनलाइज्ड बैंक, रिजर्व बैंक, नाबार्ड और सिडबी, सरकारी बीमा कंपनियां, पोर्ट ट्रस्ट व डॉक लेबर बोर्ड आदि। इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, पांडिचेरी आदि समेत सभी केंद्र शासित प्रदेश।

जांच के दायरे में आनेवाले अधिकारी

सीवीसी अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले संगठनों में तैनात अधिकारियों की कुछ श्रेणियों के खिलाफ ही जांच कर सकता है, जो इस प्रकार हैं:

केंद्रीय सरकारी मंत्रालय/विभाग: ग्रुप ए और उससे ऊपर के अधिकारी (अंडर सेक्रेटरी और इससे ऊपर के अधिकारी)

पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू): बोर्ड लेवल और उससे दो लेवल नीचे तक के अधिकारी

पब्लिक सेक्टर के बैंक: स्केल V और इससे ऊपर के अधिकारी

रिजर्व बैंक, सिडबी और नाबार्ड: ग्रेड डी या इससे ऊपर के अधिकारी

बीमा क्षेत्र: असिस्टेंट मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी

जीवन बीमा निगम: सीनियर डिविजनल मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी

स्वायत्त निकाय: 8700 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी

पोर्ट ट्रस्ट/डॉक लेबर बोर्ड: 10,750 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी

सीवीसी के काम

- ऐसे किसी भी लेन-देन के मामले में जांच करना या कराना, जिसमें केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी के शामिल होने का शक हो।

- केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों और उसके नियंत्रण में आनेवाले दूसरे संगठनों के सतर्कता और भ्रष्टाचार निवारण संबंधी कामों की सामान्य जांच और निगरानी करना।

- विजिलेंस संबंधी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देना।

- भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को सामने लाना और उस पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।

- सीबीआई और एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट के अलावा दिल्ली की स्पेशल सेल के उच्च अधिकारियों की चयन समितियों की अध्यक्षता करना।

- सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले अधिकारियों और संगठनों के खिलाफ की गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जांच सीबीआई या संबंधित संगठन के चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा कराई जाती है।

- टेंडरों के खिलाफ शिकायतों के बारे में सीवीसी संबंधित विजिलेंस ऑफिसर के माध्यम से जांच कराता है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता। सीवीओ की रिपोर्ट के आधार पर ही सीवीसी मामले में आगे कार्रवाई करता है।

कैसे करें शिकायत

- सीवीसी को सीधे पत्र लिखकर शिकायत की जा सकती है। सीवीसी की वेबसाइट www.cvc.nic.in पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। शिकायत करने से पहले यह जांच लें कि जिस संगठन या अधिकारी के खिलाफ शिकायत करनी है, वह सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं।

- 'लोकहित प्रकटीकरण और मुखबीर संरक्षण (पब्लिक इंटरेस्ट डिस्क्लोजर ऐंड इनफॉर्मर प्रॉटेक्शन)' के तहत की गई शिकायत सिर्फ डाक से ही भेजी जानी चाहिए। लिफाफे पर मोटे शब्दों में 'पीआईडी पीआई' या 'पर्दाफाश' लिखा होना चाहिए।

- जो शिकायतकर्ता अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं, आयोग उनकी पहचान छुपाकर रखता है।

- जिन शिकायतों को जांच के लायक पाया जाता है, उनमें शिकायतकर्ता को एक कंप्लेंट नंबर दिया जाता है। ऐसी शिकायतों का स्टेटस विभाग की वेबसाइट पर कंप्लेंट ऑप्शन में जाकर चेक किया जा सकता है।

ये भी जानें

- शिकायत सीधे सीवीसी को भेजी जानी चाहिए। बहुत से अधिकारियों/विभागों को भेजी गई शिकायतों पर सामान्यत: सीवीसी कार्रवाई नहीं करता।

- गुमनाम या गलत नामों से की गई शिकायतों पर भी सीवीसी कार्रवाई नहीं करता। अपना नाम-पता जरूर दें।

- राज्य सरकारें और प्राइवेट संगठन व संस्थाएं सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। राज्य सरकार के खिलाफ शिकायतें राज्यों के स्तर पर 'स्टेट विजिलेंस कमिश्नर' या लोकायुक्त को ही भेजें।

हेल्पलाइन

अगर केंद्र सरकार का कोई सीनियर अफसर आपसे रिश्वत की मांग करे या अपने पद का बेजा इस्तेमाल करे तो आप इसकी शिकायत सीवीसी को कर सकते हैं। पता हैः

सेंट्रल विजिलेंस कमिशन, सतर्कता भवन, ए ब्लॉक, जीपीओ कॉम्प्लेक्स, आईएनए, नई दिल्ली - 110023


फोन: 011-2465 1001-08, फैक्स: 011-2465 1010, ई-मेल: vigilance@nic.in ,
वेबसाइट: www.cvc.nic.in




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

कैसे करें पुलिस में शिकायत



पुलिस स्टेशन जाने से हर कोई बचता है, लेकिन कुछ गुम या चोरी हो जाने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाना ही पड़ता है। लोगों को आमतौर पर पुलिसिया कार्रवाई के तौर-तरीकों की जानकारी नहीं होती। यहां तक कि उन्हें एफआईआर औऱ एनसीआऱ के बीच का फर्क भी नहीं पता होता है। में आपको पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने से जुड़ी जानकारी दे रहा हूँ!

कब होती है एफआईआर
एफआईआर संज्ञेय अपराधों में ही दर्ज होती है। अगर अपराध संज्ञेय नहीं है तो उसकी एफआईआर नहीं लिखी जाती।
इसे एक उदाहरण से समझिए। पिछले दिनों अजय खन्ना के गाल पर अमित ने बीच सड़क पर थप्पड़ मार दिया। लगे हाथ बदला लेने के बजाय कानूनी कार्रवाई में यकीन रखने वाले अजय खन्ना सीधे थाने जा पहुंचे। डयूटी अफसर ने थप्पड़ मारने की एफआईआर करने से साफ इनकार कर दिया। अजय ने जमकर बहस की, लेकिन पुलिसवाले ने उनकी एफआईआर दर्ज नही की। अजय ने हिम्मत नहीं हारी औऱ पहुंच गए एसएचओ के पास।
तजुर्बेकार एसएचओ ने ठंडे दिमाग से अजय की बात सुनी। एसएचओ ने बताया कि थप्पड़ मारना आईपीसी का धारा 323 के तहत आता है, जो संज्ञेय अपराध नहीं है इसलिए इसकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। हां, इसके लिए अदालत में कंम्लेंट केस दायर किया जा सकता है। एसएचओ ने अजय को यह भी बताया कि अगर वह तहरीर में यह लिख दें कि अमित ने उसे सड़क पर जबरन रोका भी था, तो उसकी एफआईआर दर्ज हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि धारा 341 के तहत ‘ रॉन्गफुल रेस्ट्रेन्ट ’ यानी किसी को जबरन रोकना संज्ञेय अपराध है।

कैसे होती है एफआईआर


एफआईआर दर्ज कराने के तीन तरीके है :

■ पीड़ित सीधा थाने आकर अपने लिखित या मौखिक बयान पर एफआईआर दर्ज करा सकता है।

■ पीसीआर कॉल से मिली खबर की तफ्तीश कर एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

■ वारदात की खबर मिलने पर थाने का ड्यूटी अफसर एएसआई को मौके पर भेजता है। एएसआई चश्मदीदों के बयान दर्जकर रुक्का (एफआईआर लिखने के लिए तहरीर) लिखता है। इस रुक्के के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। यह तरीका सिर्फ जघन्य वारदात के दौरान ही अपनाया जाता है।


 क्यों लगती है देर
पुलिस ज्यादातर मामलों में शिकायत मिलते ही एफआईआर दर्ज नहीं करती। वारदात की प्रमाणिकता जानने के लिए कई बार तहरीर की जांच की जाती है। पिछले दिनों रोहतक के बिजनेसमैन किसी शादी नें शरीक होने पश्चिम विहार आए। बैंक्विट हॉल से उनकी कार चोरी हो गई। उन्होंने थाने में एफआईआर लिखाने की कोशिश की। पुलिस ने बिजनेसमैन की कम्प्लेंट पर रिपोर्ट दर्ज करने से पहले जांच की। पुलिस को सबूत मिल गए कि बिजनेसमैन वाकई शादी नें शामिल होने उसी कार से आए थे। इसके बाद उनकी एफआईआर दर्ज की गई। बाइक, कार या कोई अन्य सामान चोरी होने पर पुलिस के तुरंत एफआईआर दर्ज न करने की एक वजह औऱ भी है। पुलिस कुछ दिन तक यह इंतजार करती रहती है कि चोरी गया सामान पीड़ित को किसी तरह मिल जाए। दरअसल, कोई भी एसएचओ नहीं चाहता कि उसके थाने में एफआईआर की संख्या में इजाफा हो।
दिल्ली पुलिस के सभी थानों में स्टेशनरी की भारी किल्लत रहती है। पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज न करने की एक वजह इसे भी बताते है। हर एफआईआर की कॉपी थाने से एसीपी, अडिशनल डीसीपी-1, अडिशनल डीसीपी-2, डिस्ट्रिक्ट डीसीपी और मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट को भेजी जाती है। जघन्य अपराधों की एफआईआर की कॉपी रेंज के जॉइंट कमिश्नर को भी भेजी जाती है।

कहां दर्ज होगा केस

■ केस उस इलाके में दर्ज होगा, जहां सामान चोरी की जानकारी मिली हो, भले ही चोरी कहीं भी हुई हो।

■ वारदात की खबर किसी भी थाने में दी जा सकती है, लेकिन उसी थाने में दर्ज होगी जिस इलाके में जुर्म हुआ। अगर पीड़ित ने किसी अन्य थाने में खबर दी, तो उस थाने की पुलिस शिकायत लेकर संबंधित थाने को रेफर कर देगी।

इसे एक उदाहरण से देखते है। पीतमपुरा में रहने वाले जूलर राहुल वाधवा कार में जूलरी का बैग लेकर करोल बाग में अपने शोरूम के लिए चले। रास्ते में प्रशांत विहार मार्केट में उन्होने कार से उतरकर शॉपिंग की। करोल बाग आकर उन्होंने देखा कि उनका बैग लापता था। उन्होने प्रशांत विहार वापस जाकर चोरी का केस दर्ज कराना चाहा तो, पुलिस ने उन्हें बताया कि केस वहां दर्ज होगा, जहां उन्हें चोरी होने का पता चला था। ऐसे में राहुल ने केस प्रशांत विहार के बजाय करोलबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया।


दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा ने महिलाओं के लिए व्यवस्था की थी कि वे किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकती है, लेकिन अब उनकी शिकायतें भी संबंधित थाने में भेजी जाती है।





ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

सरकारी विभाग की यहां करें शिकायत

दूरदर्शन के एक अधिकारी का कुछ साल पहले डीडीए के ड्रॉ में फ्लैट निकला। डीडीए का लेटर लेकर खुशी-खुशी दोस्तों और परिवार के साथ फ्लैट की लोकेशन देखने वह द्वारका पहुंचे। पूरा दिन तलाशने के बाद भी लेटर में दिए गए नंबर का फ्लैट नहीं मिला। जब वह डीडीए के मुख्यालय विकास सदन गए तो वहां मौजूद अधिकारी ने सही फ्लैट नंबर व सेक्टर बताने और लेटर में सुधार के लिए पैसों की मांग की। साथ ही, पूरा काम करने का पैकेज भी बता दिया। मायूस होकर उन्होंने डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। थक-हार कर उसी अधिकारी के पास गए और उसकी शर्तों पर काम करवाया।

डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।

डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।

इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।

कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।

कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।

कार्रवाई की समयसीमा
आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।

हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :

सचिव, लोक शिकायत निदेशालय

सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन

संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001

फोन : 011-2334-5545

फैक्स : 011-2334-5637

ई-मेल: secypg@nic.in

सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।

विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

Thursday 1 December 2011

कंस्यूमर फोरम में कैसे करें शिकायत

आपका पैसा आपकी मेहनत है। जब आप बाजार में कुछ खरीद रहे होते हैं, तो दरअसल आप अपनी मेहनत के बदले खरीद रहे होते हैं। इसलिए आप चाहते हैं कि बाजार में आपको धोखा न मिले। इसके लिए आप पूरी सावधानी बरतते हैं। लेकिन बाजार तो चलता ही मुनाफे पर है। अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में दुकानदार, कंपनी, डीलर या सर्विस प्रवाइडर्स आपको धोखा दे सकते हैं। हो सकता है आपको बिल्कुल गलत चीज मिल जाए। या फिर उसमें कोई कमी पेशी हो। अगर ऐसा होता है और कंपनी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, तो चुप न बैठें। आपकी मदद के लिए कंस्यूमर फोरम मौजूद हैं। यहां शिकायत करें। शिकायत करने का पूरा तरीका हम आपको बता रहे हैं।

किसके खिलाफ हो शिकायत ?

कंस्यूमर फोरम में दुकानदार , मैन्युफेक्चर्र , डीलर या फिर सर्विस प्रवाइडर के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।

कौन कर सकता है शिकायत ?

1. पीड़ित कंस्यूमर
2. कोई फर्म , भले ही यह रजिस्टर्ड न हो

3. कोई भी व्यक्ति , भले ही वह खुद पीड़ित न हुआ हो

4. संयुक्त हिंदू परिवार

5. को-ऑपरेटिव सोसाइटी या लोगों को कोई भी समूह

6. राज्य या केंद्र सरकारें

7. कंस्यूमर की मौत हो जाने की स्थिति में उसके कानूनी वारिस

कैसे करें शिकायत ?


शिकायत के साथ आपको ऐसे डॉक्युमेंट्स की कॉपी देनी होगी, जो आपकी शिकायत का समर्थन करें। इनमें कैश मेमो, रसीद, अग्रीमेंट्स वैगरह हो सकते हैं। शिकायत की 3 कॉपी जमा करानी होती हैं। इनमें एक कॉपी ऑफिस के लिए और एक विरोधी पार्टी के लिए होती है। शिकायत व्यक्ति अपने वकील के जरिए भी करवा सकता है और खुद भी दायर कर सकता है। शिकायत के साथ पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरिए फीस जमा करानी होगी। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर प्रेजिडंट, डिस्ट्रिक्ट फोरम या स्टेट फोरम के पक्ष में बनेगा। हर मामले के लिए फीस अलग-अलग होती है, जिसका ब्यौरा हम नीचे दे रहे हैं।

कहां करें शिकायत ?

20 लाख रुपये तक के मामलों की शिकायत डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर फोरम में की जाती है। 20 लाख रुपये से ज्यादा और एक करोड़ रुपये से कम के मामलों की शिकायत स्टेट कंस्यूमर फोरम में की जाती है। एक करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों के लिए नैशनल कंस्यूमर फोरम में शिकायत होती है। हर कंस्यूमर फोरम में एक फाइलिंग काउंटर होता है, जहां सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक शिकायत दाखिल की जा सकती है।

दिल्ली में सभी कंस्यूमर फोरम के पते और फोन नंबर्स जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

फीसः

1. एक लाख रुपये तक के मामले के लिए – 100 रुपये

2. एक लाख से 5 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 200 रुपये

3. 10 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 400 रुपये

4. 20 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 500 रुपये

5. 50 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 2000 रुपये

6. एक करोड़ रुपये तक के मामले के लिए – 4000 रुपये



दिल्ली की स्टेट कंस्यूमर फोरमः

THE STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION

A-BLOCK, FIRST FLOOR, VIKAS BHAWAN,
I.P. ESTATE, NEW DELHI- 110002

Phone Numbers: 

SH. RAJINDER SINGH, REGISTRAR, PHONE: 23370799 ,

SUPDT. (REGISTRY) : 23378564

SH. Y.S. CHAUHAN, PS TO THE HON’BLE PRESIDENT

PHONE: 23370258 , FAX: 23370258 , 23378564

E MAIL : statecommission@vsnl.net

आपको अन्य राज्यों के कंस्यूमर फोरम के पता और फोने न. गूगल पे आसानी से मिल जाएंगे!




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

सरकारी विभाग की यहां करें शिकायत

दूरदर्शन के एक अधिकारी का कुछ साल पहले डीडीए के ड्रॉ में फ्लैट निकला। डीडीए का लेटर लेकर खुशी-खुशी दोस्तों और परिवार के साथ फ्लैट की लोकेशन देखने वह द्वारका पहुंचे। पूरा दिन तलाशने के बाद भी लेटर में दिए गए नंबर का फ्लैट नहीं मिला। जब वह डीडीए के मुख्यालय विकास सदन गए तो वहां मौजूद अधिकारी ने सही फ्लैट नंबर व सेक्टर बताने और लेटर में सुधार के लिए पैसों की मांग की। साथ ही, पूरा काम करने का पैकेज भी बता दिया। मायूस होकर उन्होंने डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। थक-हार कर उसी अधिकारी के पास गए और उसकी शर्तों पर काम करवाया।

डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।

डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।

इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।

कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।

कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।

कार्रवाई की समयसीमा

आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।

हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :

सचिव, लोक शिकायत निदेशालय
सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन
संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001
फोन : 011-2334-5545
फैक्स : 011-2334-5637
ई-मेल: secypg@nic.in
सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।
विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

पोस्ट ऑफिस में

आदित्य मित्र , अतुल भगत स्पीड पोस्ट करने के लिए पोस्ट ऑफिस गए। लाइन में सिर्फ पांच-छह लोगों के होने के बावजूद 15 मिनट बाद भी उनका नंबर नहीं आया। काउंटर पर गए तो देखा कि बुकिंग कर्मचारी को कंप्यूटर की ज्यादा जानकारी नहीं थी। कभी स्लिप प्रिंट नहीं हो रही थी तो कभी एक ही स्लिप पर दो-दो बार प्रिंट आ रहा था। पोस्टमास्टर से मिले तो जवाब मिला कि दूसरा कर्मचारी नहीं आया, इसलिए एक ही काउंटर चल रहा है। 40 मिनट इंतजार करने के बाद मजबूरन उन्हें अपना लेटर कूरियर से भेजना पड़ा।

दरअसल, बहुत-सी ऐसी समस्याएं हैं, जिनका सामना पोस्ट ऑफिस के कस्टमरों को करना पड़ता है, जैसे मनीआर्डर, रजिस्टर्ड पोस्ट / स्पीड-पोस्ट का वक्त पर न पहुंच पाना, डाक कर्मचारियों का रूखापन, एक काम के लिए बार-बार चक्कर लगवाना, ग्राहकों को नई योजनाओं की जानकारी न मिल पाना आदि। मगर आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ अपने अधिकार जानने की, तो आइए जानते हैं अपने अधिकारों के बारे में:

हमारे अधिकार

- डाक कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे ग्राहकों से विनम्रता से पेश आएं और उनकी जरूरतों को समझें।

- वरिष्ठ व विकलांग नागरिक किसी भी पोस्ट-ऑफिस में लाइन में लगे बिना अपना काम करा सकते हैं।

- पोस्ट-ऑफिस में शुरू की जा रही नई सुविधाओं की जानकारी डिस्प्ले होनी चाहिए।

- पोस्ट-ऑफिस परिसर में ग्राहकों के बैठने, लिखने के लिए डेस्क व ग्लू आदि होना चाहिए।

- पोस्ट-ऑफिस के काम के घंटे डिस्प्ले होने चाहिए। आमतौर पर ड्यूटी का वक्त सुबह 9 से शाम 5 बजे तक का होता है लेकिन अक्सर अलग-अलग सेवाओं के लिए अलग-अलग वक्त तय होता है।

- कोई भी परेशानी होने पर पोस्टमास्टर से संपर्क करें। आपकी मदद करना उनकी जिम्मेदारी है।

- स्पीड-पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल, वीपी या इन्श्योर्ड आर्टिकल के लिए डाक टिकट लेने की जरूरत नहीं।

- सड़कों पर लगे लेटर-बॉक्स सही हालत में हों और उन पर अगली निकासी (सुबह-दोपहर, दो बार क्लियरिंग) का समय लिखा हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर का काम है।

- यदि आपकी स्पीड-पोस्ट वक्त पर डिलिवर न हो तो आप बुकिंग ऑफिस से बुकिंग राशि वापस मांग सकते हैं। यह राशि 50 ग्राम तक वजन के लिए लोकल स्पीड-पोस्ट में 12 रुपये और नैशनल स्पीड-पोस्ट में 25 रुपये होती है। लोकल स्पीड-पोस्ट अगले दिन और नैशनल स्पीड-पोस्ट दो-तीन दिन में डिलिवर हो जानी चाहिए।

- स्पीड-पोस्ट के गुम हो जाने पर डाक विभाग बुकिंग रकम का दोगुना मूल्य भुगतान करता है।

- किसी भी पत्र आदि के खो जाने पर डाक विभाग की जिम्मेदारी सीमित है। इन्श्योर्ड लैटर या पार्सल के गुम हो जाने की स्थिति में विभाग इन्श्योर्ड रकम ही वापस देता है।

- पोस्ट-ऑफिस में डाक टिकटें, पोस्टकार्ड या दूसरी डाक सामग्री उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी है। काम के घंटों में पोस्टमास्टर का अपने ऑफिस (पोस्ट-ऑफिस) में मौजूद होना आवश्यक है।

- पोस्ट-ऑफिस का कोई भी कर्मचारी मनीआर्डर फॉर्म भरने या ऐसी किसी भी दूसरी सेवा के लिए पैसे की मांग नहीं कर सकता।

जरूरी बातें:

- पोस्ट किए गए स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी का स्टेटस जानने के लिए आप www.indiapost.gov.in पर लॉग-इन करें। स्पीड-पोस्ट की रसीद पर दिए गए नंबर व बुकिंग डेट के साथ आप अपनी मेल आईडी भी एंटर करें। आपकी स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी की सूचना आपके मेल पर पहुंच जाएगी।

- एसएमएस द्वारा स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी की सूचना पाने के लिए अपने मोबाइल के मेसेज बॉक्स में जाकरSP टाइप करें। फिर स्पेस देकर स्पीड-पोस्ट का नंबर टाइप कर 55352 पर भेजें। आपको स्पीड पोस्ट की डिलिवरी की सूचना एसएमएस द्वारा मिल जाएगी।

- यदि आप पोस्ट-ऑफिस में अपना बचत खाता खुलवाना चाहते हैं तो यह उसी दिन खुल जाएगा। इसके लिए आपके पास अड्रेस-प्रूफ और आईडी या पहचानकर्ता (जिसका पहले से वहां खाता हो) होना जरूरी है।

- जब आप पोस्ट-ऑफिस से कोई भी बचत-पत्र आदि खरीदते हैं तो उसके बदले टेंपररी रसीद जारी की जाती है। अपना ऑरिजिनल बचत-पत्र लेने के लिए बार-बार पोस्ट ऑफिस के चक्कर न लगाएं। यह पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी है कि वह आपको सूचित करे और आपसे पुरानी रसीद लेकर बचत-पत्र जारी करे।

- यदि आप अपना बचत खाता किसी दूसरे पोस्ट-ऑफिस में ट्रांसफर कराना चाहते हैं तो जहां आपका खाता है, वहां अप्लाई करने पर 10 दिन का वक्त लगेगा, जबकि दूसरे पोस्ट-ऑफिस में अप्लाई करते हैं तो 20 दिन लगेंगे।

- यदि आपके साथ पोस्ट-ऑफिस में कोई धोखाधड़ी हो, बचत खाते या लेन-देन से जुड़ी कोई शिकायत हो तो उसे शिकायत पुस्तिका में दर्ज करें। विभाग इस तरह के मामले में फौरन कार्रवाई करता है।

- सभी पोस्ट-ऑफिसों में शिकायत एवं सुझाव पुस्तिका उपलब्ध होती है। पोस्ट-ऑफिस के लिए यह जरूरी है कि वह उस अधिकारी का नाम व पद डिस्प्ले करे, जिसके पास शिकायत पुस्तिका उपलब्ध है।

- स्पीड-पोस्ट के लिए बड़े पोस्ट-ऑफिसों में स्थित किसी भी कस्टमर केयर सेंटर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत करने के एक हफ्ते में आपको अपनी शिकायत की प्राप्ति की सूचना मिल जाएगी। इसी पत्र में आपको शिकायत पर कार्रवाई करनेवाले अधिकारी का नाम व पता भी सूचित किया जाएगा। शिकायत दर्ज कराने के एक महीने के अंदर आपको शिकायत पर हुई कार्रवाई की जानकारी मिल जाएगी।

- पोस्ट-ऑफिस में बदसलूकी व इन्श्योर्ड चीज के गुम हो जाने पर आपके द्वारा की गई शिकायत पर पोस्टल (डाक) विभाग के अधिकारी आपसे संपर्क करते हैं। ऐसे में उनका आई-कार्ड जरूर चेक करें।

कहां करें शिकायत

- यदि आपकी शिकायत पर पोस्टमास्टर कोई कार्रवाई न करे या आप उसकी कार्रवाई से संतुष्ट न हों तो आप उस रीजन के चीफ पोस्टमास्टर जनरल को लिख सकते हैं। दिल्ली रेंज के कन्जयूमर इस पते पर लिख सकते हैं :

चीफ पोस्टमास्टर जनरल, मेघदूत भवन, लिंक रोड, नई दिल्ली-110001, फैक्स: 011-23627114, फोन: 011-23632225

- देश भर के पोस्टल विभाग के कंस्यूमर अपनी शिकायत www.indiapost.gov.in पर फीडबैक ऑप्शन में जाकर दर्ज कर सकते हैं। यहीं पर आप अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई की जानकारी ले सकते हैं।

- आप उपमहानिदेशक, जन शिकायत एवं गुणवत्ता, डाक विभाग, डाक भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001, फैक्स: 011-23353883 पर भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं। ईमेल है : pgdiv@indiapost.gov.in । आप सचिव (डाक) को भी इसी पते पर लिख सकते हैं।

- इसके अलावा संचार मंत्री, भारत सरकार को संचार भवन, नई दिल्ली-110001 के पते पर भी अपनी शिकायत कर सकते हैं।

रिऐलिटी चेक

पोस्ट-ऑफिस के काउंटर पर मौजूद अधिकारी आमतौर पर कन्जयूमर्स के साथ सहयोग नहीं करते। एक पैकिट बुक कराने के लिए ग्राहक को इंतजार करना पड़ता है क्योंकि बुकिंग अधिकारी बल्क बुकिंग में बिजी रहते हैं। लंबी लाइन को खत्म करने के लिए बल्क बुकिंग का इंतजाम अलग से होना चाहिए। शिकायत एवं सुझाव पुस्तिका की जानकारी आमतौर पर डिस्प्ले नहीं की जा रही है।





ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"