दूरदर्शन के एक अधिकारी का कुछ साल पहले डीडीए के ड्रॉ में फ्लैट निकला। डीडीए का लेटर लेकर खुशी-खुशी दोस्तों और परिवार के साथ फ्लैट की लोकेशन देखने वह द्वारका पहुंचे। पूरा दिन तलाशने के बाद भी लेटर में दिए गए नंबर का फ्लैट नहीं मिला। जब वह डीडीए के मुख्यालय विकास सदन गए तो वहां मौजूद अधिकारी ने सही फ्लैट नंबर व सेक्टर बताने और लेटर में सुधार के लिए पैसों की मांग की। साथ ही, पूरा काम करने का पैकेज भी बता दिया। मायूस होकर उन्होंने डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। थक-हार कर उसी अधिकारी के पास गए और उसकी शर्तों पर काम करवाया।
डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।
डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।
इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।
कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।
कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।
कार्रवाई की समयसीमा
आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।
हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :
सचिव, लोक शिकायत निदेशालय
सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन
संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001
फोन : 011-2334-5545
फैक्स : 011-2334-5637
ई-मेल: secypg@nic.in
सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।
विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।
डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।
डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।
इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।
कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।
कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।
कार्रवाई की समयसीमा
आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।
हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :
सचिव, लोक शिकायत निदेशालय
सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन
संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001
फोन : 011-2334-5545
फैक्स : 011-2334-5637
ई-मेल: secypg@nic.in
सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।
विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"
कॉल ड्राप को लेकर संचार मंत्री टेलीकॉम कंपनियों से मिलेंगे
ReplyDeleteReadmore Todaynews18.com https://goo.gl/EbMjLi
My mom 25 year se kam kar rhi he school wh abi tak permanent hit hui he or abi tak usko 1000 rupees dete he my con.n.8947002192 gram alod des.Bundi .th.hindoli name radha devi
ReplyDeleteSir Mira aak admin do jagah apana name dal kar Jamin ko Lina cahta hi aur kutum rajistar me name bhi dalva le raha aur ko sunne ko tiyar nahi hi kya karu 8000806976
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल संभाग -1
ReplyDeleteकबीर नगर कॉलोनी मे साहू एसोसिएट्स द्वारा 168 एलाइची एवं 48 ईडब्ल्यूएस (जी +6) भवनों का निर्माण किया जा रहा है जिसका वर्क ऑर्डर दिनांक 12-06-2018 दिया गया वर्क ऑर्डर देने से 2 महीने पूर्व ठेकेदार ने काम चालू कर दिया था जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हमारे पास है और अभी जो कार्य किया जा रहा है वह भी गुणवत्ता हीन है कॉलम मे जिस अनुपात में रेत गिट्टी और सीमेंट का मिश्रण होना चाहिए वह नहीं किया गया है एवं इस की ढलाई मिक्सचर मशीन से की गई है जो गलत है मिक्चर मशीन से मिक्स करके कॉलम बीम ढलाई नहीं किया जा सकता 2 माह तक बगैर किसी अधिकारी देखरेख के ठेकेदार अपने हिसाब से काम करता रहा है लोहे के जो छड़ लग रहे हैं वह भी अंडर वेट है जीस ईट का उपयोग किया जा रहा है वह भी घटिया स्तर का है वहां लेबर एक्ट का पालन नहीं कर रहा है ठेकेदार यह ठेका 17,08,72,494.00 राशि का है इस ठेके में कुछ अधिकारी ठेकेदार का खुले लूट में मदद कर रहे हैं इस विषय में जानकारी के लिए
कार्यपालक अभियंता
पूनम चंद अग्रवाल
MO -9424209069
सहायक अभियंता
आर .के चंदेलिया
Mo-9424209051