Friday 2 December 2011

सरकारी अफसर रिश्वत मांगे तो



सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। इनकी रोकथाम के लिए 2003 में 'सेंट्रल विजिलेंस कमिशन' बिल पास किया गया। आइए जानते हैं, क्या है सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) और कब कर सकते हैं यहां शिकायत:

अधिकार क्षेत्र में आनेवाले मंत्रालय/विभाग

केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग, केंद्र सरकार के सभी पीएसयू, नैशनलाइज्ड बैंक, रिजर्व बैंक, नाबार्ड और सिडबी, सरकारी बीमा कंपनियां, पोर्ट ट्रस्ट व डॉक लेबर बोर्ड आदि। इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, पांडिचेरी आदि समेत सभी केंद्र शासित प्रदेश।

जांच के दायरे में आनेवाले अधिकारी

सीवीसी अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले संगठनों में तैनात अधिकारियों की कुछ श्रेणियों के खिलाफ ही जांच कर सकता है, जो इस प्रकार हैं:

केंद्रीय सरकारी मंत्रालय/विभाग: ग्रुप ए और उससे ऊपर के अधिकारी (अंडर सेक्रेटरी और इससे ऊपर के अधिकारी)

पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू): बोर्ड लेवल और उससे दो लेवल नीचे तक के अधिकारी

पब्लिक सेक्टर के बैंक: स्केल V और इससे ऊपर के अधिकारी

रिजर्व बैंक, सिडबी और नाबार्ड: ग्रेड डी या इससे ऊपर के अधिकारी

बीमा क्षेत्र: असिस्टेंट मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी

जीवन बीमा निगम: सीनियर डिविजनल मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी

स्वायत्त निकाय: 8700 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी

पोर्ट ट्रस्ट/डॉक लेबर बोर्ड: 10,750 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी

सीवीसी के काम

- ऐसे किसी भी लेन-देन के मामले में जांच करना या कराना, जिसमें केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी के शामिल होने का शक हो।

- केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों और उसके नियंत्रण में आनेवाले दूसरे संगठनों के सतर्कता और भ्रष्टाचार निवारण संबंधी कामों की सामान्य जांच और निगरानी करना।

- विजिलेंस संबंधी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देना।

- भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को सामने लाना और उस पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।

- सीबीआई और एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट के अलावा दिल्ली की स्पेशल सेल के उच्च अधिकारियों की चयन समितियों की अध्यक्षता करना।

- सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले अधिकारियों और संगठनों के खिलाफ की गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जांच सीबीआई या संबंधित संगठन के चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा कराई जाती है।

- टेंडरों के खिलाफ शिकायतों के बारे में सीवीसी संबंधित विजिलेंस ऑफिसर के माध्यम से जांच कराता है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता। सीवीओ की रिपोर्ट के आधार पर ही सीवीसी मामले में आगे कार्रवाई करता है।

कैसे करें शिकायत

- सीवीसी को सीधे पत्र लिखकर शिकायत की जा सकती है। सीवीसी की वेबसाइट www.cvc.nic.in पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। शिकायत करने से पहले यह जांच लें कि जिस संगठन या अधिकारी के खिलाफ शिकायत करनी है, वह सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं।

- 'लोकहित प्रकटीकरण और मुखबीर संरक्षण (पब्लिक इंटरेस्ट डिस्क्लोजर ऐंड इनफॉर्मर प्रॉटेक्शन)' के तहत की गई शिकायत सिर्फ डाक से ही भेजी जानी चाहिए। लिफाफे पर मोटे शब्दों में 'पीआईडी पीआई' या 'पर्दाफाश' लिखा होना चाहिए।

- जो शिकायतकर्ता अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं, आयोग उनकी पहचान छुपाकर रखता है।

- जिन शिकायतों को जांच के लायक पाया जाता है, उनमें शिकायतकर्ता को एक कंप्लेंट नंबर दिया जाता है। ऐसी शिकायतों का स्टेटस विभाग की वेबसाइट पर कंप्लेंट ऑप्शन में जाकर चेक किया जा सकता है।

ये भी जानें

- शिकायत सीधे सीवीसी को भेजी जानी चाहिए। बहुत से अधिकारियों/विभागों को भेजी गई शिकायतों पर सामान्यत: सीवीसी कार्रवाई नहीं करता।

- गुमनाम या गलत नामों से की गई शिकायतों पर भी सीवीसी कार्रवाई नहीं करता। अपना नाम-पता जरूर दें।

- राज्य सरकारें और प्राइवेट संगठन व संस्थाएं सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। राज्य सरकार के खिलाफ शिकायतें राज्यों के स्तर पर 'स्टेट विजिलेंस कमिश्नर' या लोकायुक्त को ही भेजें।

हेल्पलाइन

अगर केंद्र सरकार का कोई सीनियर अफसर आपसे रिश्वत की मांग करे या अपने पद का बेजा इस्तेमाल करे तो आप इसकी शिकायत सीवीसी को कर सकते हैं। पता हैः

सेंट्रल विजिलेंस कमिशन, सतर्कता भवन, ए ब्लॉक, जीपीओ कॉम्प्लेक्स, आईएनए, नई दिल्ली - 110023


फोन: 011-2465 1001-08, फैक्स: 011-2465 1010, ई-मेल: vigilance@nic.in ,
वेबसाइट: www.cvc.nic.in




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

कैसे करें पुलिस में शिकायत



पुलिस स्टेशन जाने से हर कोई बचता है, लेकिन कुछ गुम या चोरी हो जाने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाना ही पड़ता है। लोगों को आमतौर पर पुलिसिया कार्रवाई के तौर-तरीकों की जानकारी नहीं होती। यहां तक कि उन्हें एफआईआर औऱ एनसीआऱ के बीच का फर्क भी नहीं पता होता है। में आपको पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने से जुड़ी जानकारी दे रहा हूँ!

कब होती है एफआईआर
एफआईआर संज्ञेय अपराधों में ही दर्ज होती है। अगर अपराध संज्ञेय नहीं है तो उसकी एफआईआर नहीं लिखी जाती।
इसे एक उदाहरण से समझिए। पिछले दिनों अजय खन्ना के गाल पर अमित ने बीच सड़क पर थप्पड़ मार दिया। लगे हाथ बदला लेने के बजाय कानूनी कार्रवाई में यकीन रखने वाले अजय खन्ना सीधे थाने जा पहुंचे। डयूटी अफसर ने थप्पड़ मारने की एफआईआर करने से साफ इनकार कर दिया। अजय ने जमकर बहस की, लेकिन पुलिसवाले ने उनकी एफआईआर दर्ज नही की। अजय ने हिम्मत नहीं हारी औऱ पहुंच गए एसएचओ के पास।
तजुर्बेकार एसएचओ ने ठंडे दिमाग से अजय की बात सुनी। एसएचओ ने बताया कि थप्पड़ मारना आईपीसी का धारा 323 के तहत आता है, जो संज्ञेय अपराध नहीं है इसलिए इसकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। हां, इसके लिए अदालत में कंम्लेंट केस दायर किया जा सकता है। एसएचओ ने अजय को यह भी बताया कि अगर वह तहरीर में यह लिख दें कि अमित ने उसे सड़क पर जबरन रोका भी था, तो उसकी एफआईआर दर्ज हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि धारा 341 के तहत ‘ रॉन्गफुल रेस्ट्रेन्ट ’ यानी किसी को जबरन रोकना संज्ञेय अपराध है।

कैसे होती है एफआईआर


एफआईआर दर्ज कराने के तीन तरीके है :

■ पीड़ित सीधा थाने आकर अपने लिखित या मौखिक बयान पर एफआईआर दर्ज करा सकता है।

■ पीसीआर कॉल से मिली खबर की तफ्तीश कर एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

■ वारदात की खबर मिलने पर थाने का ड्यूटी अफसर एएसआई को मौके पर भेजता है। एएसआई चश्मदीदों के बयान दर्जकर रुक्का (एफआईआर लिखने के लिए तहरीर) लिखता है। इस रुक्के के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। यह तरीका सिर्फ जघन्य वारदात के दौरान ही अपनाया जाता है।


 क्यों लगती है देर
पुलिस ज्यादातर मामलों में शिकायत मिलते ही एफआईआर दर्ज नहीं करती। वारदात की प्रमाणिकता जानने के लिए कई बार तहरीर की जांच की जाती है। पिछले दिनों रोहतक के बिजनेसमैन किसी शादी नें शरीक होने पश्चिम विहार आए। बैंक्विट हॉल से उनकी कार चोरी हो गई। उन्होंने थाने में एफआईआर लिखाने की कोशिश की। पुलिस ने बिजनेसमैन की कम्प्लेंट पर रिपोर्ट दर्ज करने से पहले जांच की। पुलिस को सबूत मिल गए कि बिजनेसमैन वाकई शादी नें शामिल होने उसी कार से आए थे। इसके बाद उनकी एफआईआर दर्ज की गई। बाइक, कार या कोई अन्य सामान चोरी होने पर पुलिस के तुरंत एफआईआर दर्ज न करने की एक वजह औऱ भी है। पुलिस कुछ दिन तक यह इंतजार करती रहती है कि चोरी गया सामान पीड़ित को किसी तरह मिल जाए। दरअसल, कोई भी एसएचओ नहीं चाहता कि उसके थाने में एफआईआर की संख्या में इजाफा हो।
दिल्ली पुलिस के सभी थानों में स्टेशनरी की भारी किल्लत रहती है। पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज न करने की एक वजह इसे भी बताते है। हर एफआईआर की कॉपी थाने से एसीपी, अडिशनल डीसीपी-1, अडिशनल डीसीपी-2, डिस्ट्रिक्ट डीसीपी और मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट को भेजी जाती है। जघन्य अपराधों की एफआईआर की कॉपी रेंज के जॉइंट कमिश्नर को भी भेजी जाती है।

कहां दर्ज होगा केस

■ केस उस इलाके में दर्ज होगा, जहां सामान चोरी की जानकारी मिली हो, भले ही चोरी कहीं भी हुई हो।

■ वारदात की खबर किसी भी थाने में दी जा सकती है, लेकिन उसी थाने में दर्ज होगी जिस इलाके में जुर्म हुआ। अगर पीड़ित ने किसी अन्य थाने में खबर दी, तो उस थाने की पुलिस शिकायत लेकर संबंधित थाने को रेफर कर देगी।

इसे एक उदाहरण से देखते है। पीतमपुरा में रहने वाले जूलर राहुल वाधवा कार में जूलरी का बैग लेकर करोल बाग में अपने शोरूम के लिए चले। रास्ते में प्रशांत विहार मार्केट में उन्होने कार से उतरकर शॉपिंग की। करोल बाग आकर उन्होंने देखा कि उनका बैग लापता था। उन्होने प्रशांत विहार वापस जाकर चोरी का केस दर्ज कराना चाहा तो, पुलिस ने उन्हें बताया कि केस वहां दर्ज होगा, जहां उन्हें चोरी होने का पता चला था। ऐसे में राहुल ने केस प्रशांत विहार के बजाय करोलबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया।


दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा ने महिलाओं के लिए व्यवस्था की थी कि वे किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकती है, लेकिन अब उनकी शिकायतें भी संबंधित थाने में भेजी जाती है।





ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

सरकारी विभाग की यहां करें शिकायत

दूरदर्शन के एक अधिकारी का कुछ साल पहले डीडीए के ड्रॉ में फ्लैट निकला। डीडीए का लेटर लेकर खुशी-खुशी दोस्तों और परिवार के साथ फ्लैट की लोकेशन देखने वह द्वारका पहुंचे। पूरा दिन तलाशने के बाद भी लेटर में दिए गए नंबर का फ्लैट नहीं मिला। जब वह डीडीए के मुख्यालय विकास सदन गए तो वहां मौजूद अधिकारी ने सही फ्लैट नंबर व सेक्टर बताने और लेटर में सुधार के लिए पैसों की मांग की। साथ ही, पूरा काम करने का पैकेज भी बता दिया। मायूस होकर उन्होंने डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। थक-हार कर उसी अधिकारी के पास गए और उसकी शर्तों पर काम करवाया।

डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।

डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।

इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।

कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।

कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।

कार्रवाई की समयसीमा
आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।

हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :

सचिव, लोक शिकायत निदेशालय

सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन

संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001

फोन : 011-2334-5545

फैक्स : 011-2334-5637

ई-मेल: secypg@nic.in

सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।

विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

Thursday 1 December 2011

कंस्यूमर फोरम में कैसे करें शिकायत

आपका पैसा आपकी मेहनत है। जब आप बाजार में कुछ खरीद रहे होते हैं, तो दरअसल आप अपनी मेहनत के बदले खरीद रहे होते हैं। इसलिए आप चाहते हैं कि बाजार में आपको धोखा न मिले। इसके लिए आप पूरी सावधानी बरतते हैं। लेकिन बाजार तो चलता ही मुनाफे पर है। अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में दुकानदार, कंपनी, डीलर या सर्विस प्रवाइडर्स आपको धोखा दे सकते हैं। हो सकता है आपको बिल्कुल गलत चीज मिल जाए। या फिर उसमें कोई कमी पेशी हो। अगर ऐसा होता है और कंपनी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, तो चुप न बैठें। आपकी मदद के लिए कंस्यूमर फोरम मौजूद हैं। यहां शिकायत करें। शिकायत करने का पूरा तरीका हम आपको बता रहे हैं।

किसके खिलाफ हो शिकायत ?

कंस्यूमर फोरम में दुकानदार , मैन्युफेक्चर्र , डीलर या फिर सर्विस प्रवाइडर के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।

कौन कर सकता है शिकायत ?

1. पीड़ित कंस्यूमर
2. कोई फर्म , भले ही यह रजिस्टर्ड न हो

3. कोई भी व्यक्ति , भले ही वह खुद पीड़ित न हुआ हो

4. संयुक्त हिंदू परिवार

5. को-ऑपरेटिव सोसाइटी या लोगों को कोई भी समूह

6. राज्य या केंद्र सरकारें

7. कंस्यूमर की मौत हो जाने की स्थिति में उसके कानूनी वारिस

कैसे करें शिकायत ?


शिकायत के साथ आपको ऐसे डॉक्युमेंट्स की कॉपी देनी होगी, जो आपकी शिकायत का समर्थन करें। इनमें कैश मेमो, रसीद, अग्रीमेंट्स वैगरह हो सकते हैं। शिकायत की 3 कॉपी जमा करानी होती हैं। इनमें एक कॉपी ऑफिस के लिए और एक विरोधी पार्टी के लिए होती है। शिकायत व्यक्ति अपने वकील के जरिए भी करवा सकता है और खुद भी दायर कर सकता है। शिकायत के साथ पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरिए फीस जमा करानी होगी। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर प्रेजिडंट, डिस्ट्रिक्ट फोरम या स्टेट फोरम के पक्ष में बनेगा। हर मामले के लिए फीस अलग-अलग होती है, जिसका ब्यौरा हम नीचे दे रहे हैं।

कहां करें शिकायत ?

20 लाख रुपये तक के मामलों की शिकायत डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर फोरम में की जाती है। 20 लाख रुपये से ज्यादा और एक करोड़ रुपये से कम के मामलों की शिकायत स्टेट कंस्यूमर फोरम में की जाती है। एक करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों के लिए नैशनल कंस्यूमर फोरम में शिकायत होती है। हर कंस्यूमर फोरम में एक फाइलिंग काउंटर होता है, जहां सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक शिकायत दाखिल की जा सकती है।

दिल्ली में सभी कंस्यूमर फोरम के पते और फोन नंबर्स जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

फीसः

1. एक लाख रुपये तक के मामले के लिए – 100 रुपये

2. एक लाख से 5 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 200 रुपये

3. 10 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 400 रुपये

4. 20 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 500 रुपये

5. 50 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 2000 रुपये

6. एक करोड़ रुपये तक के मामले के लिए – 4000 रुपये



दिल्ली की स्टेट कंस्यूमर फोरमः

THE STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION

A-BLOCK, FIRST FLOOR, VIKAS BHAWAN,
I.P. ESTATE, NEW DELHI- 110002

Phone Numbers: 

SH. RAJINDER SINGH, REGISTRAR, PHONE: 23370799 ,

SUPDT. (REGISTRY) : 23378564

SH. Y.S. CHAUHAN, PS TO THE HON’BLE PRESIDENT

PHONE: 23370258 , FAX: 23370258 , 23378564

E MAIL : statecommission@vsnl.net

आपको अन्य राज्यों के कंस्यूमर फोरम के पता और फोने न. गूगल पे आसानी से मिल जाएंगे!




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

सरकारी विभाग की यहां करें शिकायत

दूरदर्शन के एक अधिकारी का कुछ साल पहले डीडीए के ड्रॉ में फ्लैट निकला। डीडीए का लेटर लेकर खुशी-खुशी दोस्तों और परिवार के साथ फ्लैट की लोकेशन देखने वह द्वारका पहुंचे। पूरा दिन तलाशने के बाद भी लेटर में दिए गए नंबर का फ्लैट नहीं मिला। जब वह डीडीए के मुख्यालय विकास सदन गए तो वहां मौजूद अधिकारी ने सही फ्लैट नंबर व सेक्टर बताने और लेटर में सुधार के लिए पैसों की मांग की। साथ ही, पूरा काम करने का पैकेज भी बता दिया। मायूस होकर उन्होंने डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। थक-हार कर उसी अधिकारी के पास गए और उसकी शर्तों पर काम करवाया।

डीडीए ही नहीं, और भी कई ऐसे विभाग हैं, जिनसे जनता को अक्सर शिकायतें रहती हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय (कैबिनेट सेक्रेट्रिएट) के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डायरेक्ट्रेट पब्लिक ग्रीवेंसेज यानी डीपीजी) बनाया गया है। निदेशालय का प्रमुख केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है।

डीपीजी के तहत आनेवाले विभाग/मंत्रालय
रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग (एमटीएनएल एवं बीएसएनएल), शहरी विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय (एयर इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि), जल, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर के सभी बैंक व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, वित्त मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही नैशनल सेविंग स्कीम, क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर, ईपीएफ संगठन, केंदीय स्वास्थ्य योजना, सीबीएसई, नैशनल ओपन स्कूल, नवोदय विद्यालय समिति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा ईएसआई हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी के कर्मचारी इसके तहत आते हैं।

इन पर विचार नहीं करता डीपीजी
निदेशालय की नीति (पॉलिसी) संबंधी मामले, बिजनेस डील, कोर्ट के अधीन विचाराधीन मामले, ऐसी शिकायतें जिनका संबंध सेवा संबंधी मामलों से हो (पेमेंट ऑफ टमिर्नल बेनिफिट, ईपीएफ जैसे सेवा से जुड़े मामलों को छोड़कर) या जिन्हें मंत्रालय/विभाग के मंत्री के स्तर पर निपटाया जा चुका हो।

कब कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की हो या आप कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हों तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स नत्थी कर डीपीजी को भेज सकते हैं।

कैसे होती है शिकायत पर कार्रवाई
निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही तय मापदंडों के मुताबिक कार्रवाई करता है।
- जिस मामले में निदेशालय पाता है कि शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।
- अगर जांच के दौरान गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो निदेशालय संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश देता है।
- निदेशालय के नजरिए से किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/डॉक्युमेंट्स मंगाने का अधिकार है।
- अगर सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी देरी करता है या टालमटोल करता है, तो निदेशालय उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है।

कार्रवाई की समयसीमा

आमतौर पर शिकायत मिलने के तीन महीने के अंदर निदेशालय उस पर हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है। निदेशालय किसी भी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता।

हेल्पलाइन
अगर आपको संबंधित मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कोई भी शिकायत है तो आप लोक शिकायत निदेशालय को लिख सकते हैं। पता है :

सचिव, लोक शिकायत निदेशालय
सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन
संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001
फोन : 011-2334-5545
फैक्स : 011-2334-5637
ई-मेल: secypg@nic.in
सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर ड्रॉप कर सकते हैं।
विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर कम्प्लेंट के ऑप्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यहीं आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई का स्टेटस मालूम कर सकते हैं।




ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

पोस्ट ऑफिस में

आदित्य मित्र , अतुल भगत स्पीड पोस्ट करने के लिए पोस्ट ऑफिस गए। लाइन में सिर्फ पांच-छह लोगों के होने के बावजूद 15 मिनट बाद भी उनका नंबर नहीं आया। काउंटर पर गए तो देखा कि बुकिंग कर्मचारी को कंप्यूटर की ज्यादा जानकारी नहीं थी। कभी स्लिप प्रिंट नहीं हो रही थी तो कभी एक ही स्लिप पर दो-दो बार प्रिंट आ रहा था। पोस्टमास्टर से मिले तो जवाब मिला कि दूसरा कर्मचारी नहीं आया, इसलिए एक ही काउंटर चल रहा है। 40 मिनट इंतजार करने के बाद मजबूरन उन्हें अपना लेटर कूरियर से भेजना पड़ा।

दरअसल, बहुत-सी ऐसी समस्याएं हैं, जिनका सामना पोस्ट ऑफिस के कस्टमरों को करना पड़ता है, जैसे मनीआर्डर, रजिस्टर्ड पोस्ट / स्पीड-पोस्ट का वक्त पर न पहुंच पाना, डाक कर्मचारियों का रूखापन, एक काम के लिए बार-बार चक्कर लगवाना, ग्राहकों को नई योजनाओं की जानकारी न मिल पाना आदि। मगर आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ अपने अधिकार जानने की, तो आइए जानते हैं अपने अधिकारों के बारे में:

हमारे अधिकार

- डाक कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे ग्राहकों से विनम्रता से पेश आएं और उनकी जरूरतों को समझें।

- वरिष्ठ व विकलांग नागरिक किसी भी पोस्ट-ऑफिस में लाइन में लगे बिना अपना काम करा सकते हैं।

- पोस्ट-ऑफिस में शुरू की जा रही नई सुविधाओं की जानकारी डिस्प्ले होनी चाहिए।

- पोस्ट-ऑफिस परिसर में ग्राहकों के बैठने, लिखने के लिए डेस्क व ग्लू आदि होना चाहिए।

- पोस्ट-ऑफिस के काम के घंटे डिस्प्ले होने चाहिए। आमतौर पर ड्यूटी का वक्त सुबह 9 से शाम 5 बजे तक का होता है लेकिन अक्सर अलग-अलग सेवाओं के लिए अलग-अलग वक्त तय होता है।

- कोई भी परेशानी होने पर पोस्टमास्टर से संपर्क करें। आपकी मदद करना उनकी जिम्मेदारी है।

- स्पीड-पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल, वीपी या इन्श्योर्ड आर्टिकल के लिए डाक टिकट लेने की जरूरत नहीं।

- सड़कों पर लगे लेटर-बॉक्स सही हालत में हों और उन पर अगली निकासी (सुबह-दोपहर, दो बार क्लियरिंग) का समय लिखा हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर का काम है।

- यदि आपकी स्पीड-पोस्ट वक्त पर डिलिवर न हो तो आप बुकिंग ऑफिस से बुकिंग राशि वापस मांग सकते हैं। यह राशि 50 ग्राम तक वजन के लिए लोकल स्पीड-पोस्ट में 12 रुपये और नैशनल स्पीड-पोस्ट में 25 रुपये होती है। लोकल स्पीड-पोस्ट अगले दिन और नैशनल स्पीड-पोस्ट दो-तीन दिन में डिलिवर हो जानी चाहिए।

- स्पीड-पोस्ट के गुम हो जाने पर डाक विभाग बुकिंग रकम का दोगुना मूल्य भुगतान करता है।

- किसी भी पत्र आदि के खो जाने पर डाक विभाग की जिम्मेदारी सीमित है। इन्श्योर्ड लैटर या पार्सल के गुम हो जाने की स्थिति में विभाग इन्श्योर्ड रकम ही वापस देता है।

- पोस्ट-ऑफिस में डाक टिकटें, पोस्टकार्ड या दूसरी डाक सामग्री उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी है। काम के घंटों में पोस्टमास्टर का अपने ऑफिस (पोस्ट-ऑफिस) में मौजूद होना आवश्यक है।

- पोस्ट-ऑफिस का कोई भी कर्मचारी मनीआर्डर फॉर्म भरने या ऐसी किसी भी दूसरी सेवा के लिए पैसे की मांग नहीं कर सकता।

जरूरी बातें:

- पोस्ट किए गए स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी का स्टेटस जानने के लिए आप www.indiapost.gov.in पर लॉग-इन करें। स्पीड-पोस्ट की रसीद पर दिए गए नंबर व बुकिंग डेट के साथ आप अपनी मेल आईडी भी एंटर करें। आपकी स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी की सूचना आपके मेल पर पहुंच जाएगी।

- एसएमएस द्वारा स्पीड-पोस्ट की डिलिवरी की सूचना पाने के लिए अपने मोबाइल के मेसेज बॉक्स में जाकरSP टाइप करें। फिर स्पेस देकर स्पीड-पोस्ट का नंबर टाइप कर 55352 पर भेजें। आपको स्पीड पोस्ट की डिलिवरी की सूचना एसएमएस द्वारा मिल जाएगी।

- यदि आप पोस्ट-ऑफिस में अपना बचत खाता खुलवाना चाहते हैं तो यह उसी दिन खुल जाएगा। इसके लिए आपके पास अड्रेस-प्रूफ और आईडी या पहचानकर्ता (जिसका पहले से वहां खाता हो) होना जरूरी है।

- जब आप पोस्ट-ऑफिस से कोई भी बचत-पत्र आदि खरीदते हैं तो उसके बदले टेंपररी रसीद जारी की जाती है। अपना ऑरिजिनल बचत-पत्र लेने के लिए बार-बार पोस्ट ऑफिस के चक्कर न लगाएं। यह पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी है कि वह आपको सूचित करे और आपसे पुरानी रसीद लेकर बचत-पत्र जारी करे।

- यदि आप अपना बचत खाता किसी दूसरे पोस्ट-ऑफिस में ट्रांसफर कराना चाहते हैं तो जहां आपका खाता है, वहां अप्लाई करने पर 10 दिन का वक्त लगेगा, जबकि दूसरे पोस्ट-ऑफिस में अप्लाई करते हैं तो 20 दिन लगेंगे।

- यदि आपके साथ पोस्ट-ऑफिस में कोई धोखाधड़ी हो, बचत खाते या लेन-देन से जुड़ी कोई शिकायत हो तो उसे शिकायत पुस्तिका में दर्ज करें। विभाग इस तरह के मामले में फौरन कार्रवाई करता है।

- सभी पोस्ट-ऑफिसों में शिकायत एवं सुझाव पुस्तिका उपलब्ध होती है। पोस्ट-ऑफिस के लिए यह जरूरी है कि वह उस अधिकारी का नाम व पद डिस्प्ले करे, जिसके पास शिकायत पुस्तिका उपलब्ध है।

- स्पीड-पोस्ट के लिए बड़े पोस्ट-ऑफिसों में स्थित किसी भी कस्टमर केयर सेंटर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत करने के एक हफ्ते में आपको अपनी शिकायत की प्राप्ति की सूचना मिल जाएगी। इसी पत्र में आपको शिकायत पर कार्रवाई करनेवाले अधिकारी का नाम व पता भी सूचित किया जाएगा। शिकायत दर्ज कराने के एक महीने के अंदर आपको शिकायत पर हुई कार्रवाई की जानकारी मिल जाएगी।

- पोस्ट-ऑफिस में बदसलूकी व इन्श्योर्ड चीज के गुम हो जाने पर आपके द्वारा की गई शिकायत पर पोस्टल (डाक) विभाग के अधिकारी आपसे संपर्क करते हैं। ऐसे में उनका आई-कार्ड जरूर चेक करें।

कहां करें शिकायत

- यदि आपकी शिकायत पर पोस्टमास्टर कोई कार्रवाई न करे या आप उसकी कार्रवाई से संतुष्ट न हों तो आप उस रीजन के चीफ पोस्टमास्टर जनरल को लिख सकते हैं। दिल्ली रेंज के कन्जयूमर इस पते पर लिख सकते हैं :

चीफ पोस्टमास्टर जनरल, मेघदूत भवन, लिंक रोड, नई दिल्ली-110001, फैक्स: 011-23627114, फोन: 011-23632225

- देश भर के पोस्टल विभाग के कंस्यूमर अपनी शिकायत www.indiapost.gov.in पर फीडबैक ऑप्शन में जाकर दर्ज कर सकते हैं। यहीं पर आप अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई की जानकारी ले सकते हैं।

- आप उपमहानिदेशक, जन शिकायत एवं गुणवत्ता, डाक विभाग, डाक भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001, फैक्स: 011-23353883 पर भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं। ईमेल है : pgdiv@indiapost.gov.in । आप सचिव (डाक) को भी इसी पते पर लिख सकते हैं।

- इसके अलावा संचार मंत्री, भारत सरकार को संचार भवन, नई दिल्ली-110001 के पते पर भी अपनी शिकायत कर सकते हैं।

रिऐलिटी चेक

पोस्ट-ऑफिस के काउंटर पर मौजूद अधिकारी आमतौर पर कन्जयूमर्स के साथ सहयोग नहीं करते। एक पैकिट बुक कराने के लिए ग्राहक को इंतजार करना पड़ता है क्योंकि बुकिंग अधिकारी बल्क बुकिंग में बिजी रहते हैं। लंबी लाइन को खत्म करने के लिए बल्क बुकिंग का इंतजाम अलग से होना चाहिए। शिकायत एवं सुझाव पुस्तिका की जानकारी आमतौर पर डिस्प्ले नहीं की जा रही है।





ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

बस की परेशानी


पहाड़गंज में रहने वाले गुरनाम सिंह डीटीसी की लो-फ्लोर बस सर्विस शुरू होने से खुश थे कि चलो कभी-कभी गुरुद्वारे बस से जाया करेंगे। एक रोज परिवार के साथ बस स्टैंड पहुंचे, लेकिन उनकी खुशी उस वक्त गायब हो गई, जब एक घंटा बस स्टैंड पर खड़े रहने के बावजूद 957 नंबर की कोई भी लो-फ्लोर बस स्टैंड पर नहीं रुकी। जब एक बस स्टैंड से आगे जाकर रेडलाइट पर रुकी तो वह गाड़ियों के बीच से होकर कंडक्टर महोदय की खिड़की तक पहुंचे। बार-बार नॉक करने पर भी कंडक्टर महोदय ने खिड़की नहीं खोली। थक-हारकर गुरनाम सिंह अपनी गाड़ी से गुरुद्वारे पहुंचे। गुरनाम सिंह के साथ जो हुआ, वह किसी के भी साथ हो सकता है।


अगर बस में ड्राइवर या कंडक्टर गलत व्यवहार करें, बस गंदी हो, अंदर की लाइटें काम न कर रही हों, बस स्टॉप पर न रुके या कोई और परेशानी हो, तो शिकायत जरूर करें, लेकिन इसके लिए आपको अपने अधिकार पता होने चाहिए। 

ये हैं आपके अधिकार
- बस केवल निर्धारित रूट पर ही चलनी चाहिए। रास्ते में पड़ने वाले सभी बस स्टॉप पर इंतजार कर रहे लोगों को बस में चढ़ाने की जिम्मेदारी ड्राइवर-कंडक्टर की है।
- बस कंडक्टर और ड्राइवर का यूनिफॉर्म में होना जरूरी है। नेम प्लेट भी स्पष्ट रूप से डिस्प्ले होनी चाहिए।
- बस अपने रूट के सभी स्टॉप पर रुके, यह सुनिश्चित करना स्टाफ की जिम्मेदारी है।
- बसों में फर्स्ट-एड बॉक्स होना अनिवार्य है।
- कंडक्टर के लिए यह जरूरी है कि वह बस के आगे वाले गेट से टिकट बांटना शुरू करे। किसी भी स्टॉप पर वह यात्री को तभी उतरने देगा, जब यह सुनिश्चित हो जाएगा कि वह टिकट ले चुका है।
- अगर कोई यात्री किराया देने से इनकार करता है तो कंडक्टर उसे अगले बस स्टॉप पर उतार देगा।
- आने वाले बस स्टॉप पर पहुंचने से पहले कंडक्टर को उसके नाम की घोषणा करनी चाहिए।
- कंडक्टर बस में यात्रा कर रही किसी भी सवारी पर शंका होने पर उसका टिकट/पास चेक कर सकता है।
- चेकिंग स्टाफ टिकट चेक करने के नाम पर बस को रोककर नहीं रख सकते। एक स्टॉप पर टिकट चेक करने वाले बस में चढ़ेंगे और बस चल देगी। इसके बाद वे चलती बस में ही सवारियों के टिकट चेक करेंगे और आगे वाले किसी स्टॉप पर उतर जाएंगे। केवल उतरने वाली सवारियों के टिकटों की जांच के दौरान ही बस रुकती है।
- बस और सीटें साफ होनी चाहिए, बस के अंदर की लाइटें ठीक होनी चाहिए और रूट की जानकारी डिस्प्ले होनी चाहिए।
- बस में चढ़ने व उतरने वाले सीनियर सिटिजन और बच्चों की मदद के लिए स्टाफ वचनबद्ध है।
- बस अगर बीच रास्ते में खराब हो जाती है तो कंडक्टर की यह जिम्मेदारी है कि वह सवारियों को उसी रूट की दूसरी बस में चढ़ाए।
- बसों में स्मोकिंग बैन है। यह नियम सवारियों के साथ-साथ बस स्टाफ पर भी लागू होता है।
- डिपो से अंतिम डेस्टिनेशन तक और फिर डिपो तक वापस आते समय रास्ते में मिलने वाली सवारियों को बस में यात्रा करने का अधिकार है। अगर डिपो जाने के नाम पर स्टाफ आपको बस में बैठाने से मना करता है तो शिकायत जरूर करें।
- बिना टिकट यात्रा करने वाले शख्स पर 200 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।
- हर बस में शिकायत और सुझाव पुस्तिका होती है। सवारी के मांगने पर कंडक्टर उसे देने के लिए बाध्य है।
- बस का टिकट संभालकर रखें क्योंकि अगर आप डीटीसी में बस की शिकायत दर्ज कराते हैं तो आपके पास बस के रूट नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ टिकट भी होना चाहिए। टिकट इस बात का सबूत है कि आप उस बस में थे। पुलिस में शिकायत करते वक्त सिर्फ रूट नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर से ही काम चल जाता है।

ये भी जानें
- डीटीसी शादी-विवाह, पार्टी, पिकनिक आदि के लिए बसें उपलब्ध कराती है। इससे संबंधित जानकारी के लिए सिंधिया हाउस के फोन नंबर 011-28844192 पर कॉल कर सकते हैं। दिल्ली से बाहर जाने वाली बसों की जानकारी यहां से ले सकते हैं। बस अड्डा कश्मीरी गेट 011-23865181, 23868836
बस अड्डा सराय काले खां 011-24358092
बस अड्डा आनंद विहार 011-22152431

- विकलांगों, सैनिकों की विधवाओं व आश्रितों, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त खिलाड़ियों, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को डीटीसी मुफ्त पास जारी करती है।
- बस पास बनवाने के लिए आवेदन फॉर्म डीटीसी की वेबसाइट www.dtc.nic.in से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
- पास की निर्धारित राशि के अलावा आपको पहली बार 15 रुपए पहचान पत्र बनवाने के लिए देने होते हैं।
- डीटीसी स्टूडेंट्स, पुनर्वास कॉलोनियों के निवासियों, पुलिस, पत्रकार व सीनियर सिटिजंस को रियायती बस पास जारी करती है।
- 12 साल तक के बच्चों का सभी बसों में आधा किराया लगता है।
- डीटीसी की दिल्ली दर्शन सेवा भी उपलब्ध है। पूछताछ सिंधिया हाउस के फोन 011-28844192 पर की जा सकती है।
- आप किसी भी दिन 40 रुपये का पास बनवाकर सामान्य बस में कहीं भी सफर कर सकते हैं, जबकि एसी बस के पास की कीमत 50 रुपये है।
- डीटीसी की दिल्ली-लाहौर बस सेवा के लिए आप पासपोर्ट व वीजा कागजात के साथ 60 दिन पहले रिजर्वेशन करा सकते हैं। बस चलने से दो घंटे पहले चेक-इन करना जरूरी है। यह बस सुबह 6 बजे आंबेडकर टर्मिनल (दिल्ली गेट) से चलती है। रिजर्वेशन फॉर्म डीटीसी की वेबसाइट www.dtc.nic.in पर दिल्ली-लाहौर बस सर्विस ऑप्शन में उपलब्ध हैं। टर्मिनल के फोन नंबर 011-23318180, 23712228 हैं।


हेल्पलाइन:-
ब्लूलाइन के लिए
- ब्लूलाइन के यात्री 42400400 पर शिकायत कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन पर सातों दिन 24 घंटे शिकायत की जा सकती है।
- आप परिवहन विभाग के कंट्रोल रूम नंबर 011-23929168 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- इसके अलावा आप उपायुक्त (एंफोर्समेंट) या आयुक्त/ सचिव को 5/9, अंडर हिल रोड, परिवहन विभाग, दिल्ली को लिख सकते हैं। फैक्स : 011-23933069 

डीटीसी के लिए
- डीटीसी के यात्री इन नंबरों पर शिकायत कर सकते हैं :
011-24351587, 24350378, 24351763, 24352745, 9718190098, 9718190047
- आप टोल फ्री नंबर 1800118181 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- dtc@bol.net.in पर भी शिकायत की जा सकती है।
- आप डीटीसी के सीएमडी को लिख सकते हैं। पता है : सीएमडी, डीटीसी मुख्यालय, आईपी एस्टेट, नई दिल्ली-110002, फैक्स : 011-23370877

- अगर विभाग की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं तो परिवहन मंत्री को भी ब्लूलाइन या डीटीसी से संबंधित शिकायत भेज सकते हैं। पता है :
परिवहन मंत्री, दिल्ली सचिवालय, आईपी एस्टेट, नई दिल्ली-110002, फैक्स नंबर है : 011-23392022






ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

कैसे करें मिट्टी का तेल कि शिकायत

अनीता बिस्वास जब भी राशन की दुकान पर राशन लेने जाती हैं तो हर बार उन्हें 'नहीं है' या 'खत्म हो गया' सुनना पड़ता है। कभी गेहूं नहीं तो कभी चावल नहीं, कभी चीनी नहीं तो कभी कुछ भी नहीं... इस तरह की बातें सुन-सुनकर अनीता ही नहीं, ज्यादातर राशन कार्डधारक परेशान रहते हैं। लेकिन ये परेशानियां हल हो सकती हैं। यदि आपको वक्त पर राशन न मिले या उसकी सूचना राशन शॉप पर डिस्प्ले न हो, राशन की दुकान वक्त पर न खुले, डीलर बुरा बर्ताव करे, कम तोले, रसीद न दे या राशन की कालाबाजारी करे तो शिकायत जरूर करें।

         दिल्ली के 70 राशन सर्कल ऑफिसरों को 9 जोन में बांटा गया है। हर सर्कल ऑफिस का इंचार्ज फूड सप्लाई ऑफिसर (एफएसओ) होता है। दिल्ली में चार तरह के राशन-कार्ड हैं : एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर), बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे), अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) व अन्नपूर्णा।

          एपीएल कार्डधारक को गेहूं, चावल व मिट्टी का तेल मिलता है। बीपीएल व अंत्योदय कार्डधारक को चीनी भी मिलती है। एपीएल कार्ड सफेद रंग, बीपीएल कार्ड पीले रंग व एएवाई कार्ड गुलाबी रंग का होता है। जिस परिवार की सालाना आमदनी 24,200 रुपये से कम है, वह बीपीएल कार्ड की कैटिगरी में आता है। इससे ऊपर की सालाना आमदनी वाला परिवार एपीएल कैटिगरी में आता है। अंतोद्य अन्न योजना में शारीरिक या मानसिक विकलांग, भूमिहीन मजदूर और विधवाएं आती हैं। साथ ही, इनके परिवार की सालाना आय 24,200 रुपये से कम होनी चाहिए।

          अंत्योदय कार्ड पर राशन बीपीएल और बीपीएल पर एपीएल से सस्ता मिलता है। अन्नपूर्णा योजना में 65 साल से ज्यादा उम्र के वे लोग आते हैं, जिनकी कमाई का कोई साधन नहीं होता। साथ ही, वे नैशनल ओल्ड एज पेंशन या राज्य पेंशन स्कीम का लाभ न ले रहे हों। इस योजना के तहत हर महीने 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता है। फिलहाल एपीएल कैटिगरी में एक लाख रुपये सालाना आमदनी वाले परिवार को ही राशन दिया जा रहा है, इससे ज्यादा वाले को नहीं।

         बीपीएल, अंत्योदय अन्न योजना व अन्नपूर्णा कार्ड के लिए आवेदन मिलने पर लाभाथिर्यों का चयन उस सर्कल की सलाहकार समिति करती है। क्षेत्र का विधायक इस कमिटी का चेयरमैन होता है, जबकि फूड सप्लाई ऑफिसर व चेयरमैन द्वारा मनोनीत सदस्य इस कमिटी के सदस्य होते हैं।

          कस्टमर की धांधली का जानकारी होने पर कार्ड रिनुअल के टाइम पर रोक सकते हैं। हालांकि चेक करने का कोई जरिया है भी नहीं। डीलर में पहले एक-दो बार चेतावनी, लिगातार शिकायत मिलने पर कैंसल कर सकते हैं।

- धांधली पकड़े जाने पर कैंसल किया जा सकता है।

- डिपार्टमेंट एक्शन लेता है अगर बेईमानी पकड़ी जाती है।

अधिकार

- कोई भी राशन-कार्ड परिवार के मुखिया के नाम से जारी होता है। लेकिन यदि मुखिया परिवार के किसी दूसरे सदस्य को अधिकृत करता है तो उसके नाम पर भी राशन-कार्ड जारी हो सकता है।

- नया राशन-कार्ड बनवाने के लिए दो फोटो जरूरी हैं। एक फोटो फॉर्म पर चिपकाकर उसे गजेटिड ऑफिसर/क्षेत्रीय विधायक, पार्षद या सांसद से सत्यापित कराना होता है।

- इसके अलावा एक एफिडेविट देना होता है, जिसे क्षेत्र के एसडीएम, पब्लिक नोटरी या ओथ कमिश्नर से सत्यापित कराना होता है।

- साथ ही रेजिडेंस सटिर्फिकेट भी जरूरी है। इसके लिए आप वोटर आई-डी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, रोजगार पहचान-पत्र, बिजली या पानी का बिल, बैंक पासबुक आदि की कॉपी जमा करा सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप प्रॉपटीर् या घर के मालिक हैं तो उसके कागजात की कॉपी, हाउस टैक्स की रसीद आदि जमा कर सकते हैं।

- यदि आप किराएदार हैं और आपका मकान-मालिक आपको कार्ड बनवाने की लिखित इजाजत न दे या किराए की रसीद न हो तो आप अपने दो पड़ोसियों से आवेदन-पत्र पर साइन कराकर उनके राशन-कार्ड की फोटो कॉपी भी लगा सकते हैं।

- यदि आपका सरेंडर सटिर्फिकेट गुम हो गया हो तो आप उस क्षेत्र के एसडीएम, ओथ कमिश्नर या नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित एफिडेविट भी जमा कर सकते हैं।

- एक ही मकान में रहने वाले दो परिवारों को अलग राशन-कार्ड जारी किया जा सकता है, बशतेर् उनकी रसोई अलग-अलग हो।

यदि आपका राशन-कार्ड गुम हो जाए तो आपको पुलिस एफआईआर के साथ एफिडेविट जमा करना होगा।

- राशन-कार्ड में नाम जुड़वाने के लिए बर्थ सटिर्फिकेट जरूरी है। लेकिन यदि आप कहीं और से आए हैं तो उस सर्कल ऑफिस से अपना नाम कैंसल कराकर उसका सटिर्फिकेट जमा कराना होगा।

- यदि आप राशन-कार्ड से कोई नाम कटवाना चाहते हैं तो उसकी वजह बतलाते हुए आपको आवेदन करना होगा। किसी की मौत होने पर डेथ सटिर्फिकेट जरूरी है।

- यदि आप नाम बदल लेते हैं और राशन-कार्ड में भी वही नाम चाहते हैं तो इसके लिए अखबार में दिए गए विज्ञापन की कॉपी के साथ प्रथम श्रेणी मैजिस्ट्रेट द्वारा जारी एफिडेविट जमा करना होगा।
- यदि आपने उसी सर्कल में मकान बदला है तो पते के प्रूफ की कॉपी फॉर्म के साथ जमा करें। यदि दूसरे सर्कल में मकान बदला है तो अपने सर्कल में फॉर्म जमाकर सर्टिफिकेट लेकर दूसरे सर्कल में एड्रेस-प्रूफ के साथ जमा करें।

विभाग ने विभिन्न कामों के लिए निम्न समयसीमा तय की है। यदि आपका काम इस समयसीमा न हो तो आप इन अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं :

संख्याकार्ड समयसीमा उपयुक्त अधिकारीउच्च अधिकारी

1. नया राशन कार्ड जारी करना 45 दिन सहायक आयुक्त आयुक्त

2. कार्ड की वापसी (सरेंडर)उसी दिन एफएसओ जोनल सहायक आयुक्त

3. किसी सदस्य का नाम कटवाना 10 दिन एफएसओजोनल सहायक आयुक्त

4. कार्ड में किसी का नाम जुड़वाना 10 दिन एफएसओजोनल सहायक आयुक्त

5. उसी सर्कल में एड्रेस में तब्दीली 10 दिन एफएसओजोनल सहायक आयुक्त

6. राशन दुकान या तेल डिपो में10 दिन एफएसओ जोनल सहायक आयुक्त

परिवर्तन कराना (उसी सर्कल में) 

कार्डधारक ध्यान रखें
- अपने राशन-कार्ड को किसी दूसरे को ना दें, न ही राशन डीलर के पास छोड़ें।

- राशन लेते वक्त हमेशा चीज की क्वॉलिटी व मात्रा/वजन जांच लें। यह भी ध्यान रखें कि जो एंट्री आपकी रसीद पर हो, वही आपके राशन-कार्ड में भी हो।

- यदि आपका कार्ड गुम हो जाए, खराब हो जाए या उसमें किसी तरह का बदलाव कराना हो तो हमेशा अपने सर्कल ऑफिस से संपर्क करें। आपको उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ या ओवरराइटिंग नहीं करनी चाहिए।

- यदि आप रसोई गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने सर्कल ऑफिस को सूचित करें। रसोई गैस कंस्यूमर मिट्टी का तेल नहीं ले सकते।

- यदि किसी बीपीएल या एएवाई कार्डधारक के परिवार की सालाना आमदनी 24,200 रुपये से ज्यादा हो जाती है तो उसे अपना राशन-कार्ड सरेंडर कर एपीएल कार्ड ले लेना चाहिए।

- यदि परिवार के किसी सदस्य की मौत हो जाए या परिवार का कोई सदस्य तीन महीने से अधिक समय तक दिल्ली से बाहर रहे तो इसकी जानकारी विभाग को देकर उस सदस्य का नाम कार्ड से हटवाएं।

- कार्ड खो जाए तो नया कार्ड बनवाने के लिए एफआईआर की कॉपी के साथ एफिडेविट देना होगा।

- कार्ड में गलत जानकारी सामने आने पर नवीकरण के वक्त दिक्कत आ सकती है।

कहां करें शिकायत
- यदि आपको राशन शॉप से कोई भी शिकायत है तो आप शॉप पर उपलब्ध कंप्लेंट बुक में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। एक-दो बार चेतावनी के बाद लगातार शिकायत मिलने पर लाइसेंस कैंसल भी किया जा सकता है।

- यदि दुकानदार इसे उपलब्ध न कराएं तो आप खाद्य आपूतिर् अधिकारी को लिखित में सूचित करें। इसके अलावा आप कंट्रोल रूम के फोन नं. 011-23370841 या 1800110841 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप विभाग की ईमेल आईडी : cfood@hule.nic.in पर भी शिकायत कर सकते हैं।

- आप अपने सर्कल के सहायक आयुक्त को विकास भवन के पते पर भी लिख सकते हैं। पता है : आयुक्त, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, के-ब्लॉक, विकास भवन, आई.पी. एस्टेट नई दिल्ली-110002, फोन नं. 011-23379206 पर फैक्स भी कर सकते हैं। आप खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री, दिल्ली सचिवालय, आई.पी. एस्टेट, नई दिल्ली-110002 को भी लिख सकते हैं।

रियलिटी चेक
पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के नाम पर गोरखधंधा जारी है। न तो सरकार राशन-कार्ड के हिसाब से सप्लाई देती है, न ही राशन-कार्ड के लिए आवेदन करने वाले की ढंग से पड़ताल होती है। ज्यादातर कंस्यूमरों के पास रसोई गैस है, फिर भी मिट्टी का तेल ले रहे हैं। विभाग की हालत यह है कि आवेदन के साथ जमा किए जाने वाले एफिडेविट की जांच-पड़ताल भी नहीं की जाती। राशन डीलरों को आज भी 25-30 पैसे प्रति किलो के हिसाब से कमिशन दिया जाता है। यदि ईमानदारी से होनेवाली उनकी कुल आमदनी देखी जाए तो दुकान का किराया भी नहीं निकलता है। ऐसे में दाल काली नहीं होगी तो क्या होगा!





ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

माप-तौल में धोखा हो तो यहाँ शिकायत करें

ललित शर्मा ने एक नामी दुकान से एक किलो मिठाई खरीदी। डिब्बे में खाली जगह देखकर उन्हें शक हुआ। दोबारा वजन कराने पर पता चला कि दुकानदार मिठाई के साथ डिब्बा भी तौल रहा है। जब शर्मा जी ने ऐतराज किया, तो दुकानदार ने समझाया कि डिब्बे का वजन मशीन में अजस्ट किया हुआ है। शर्मा जी ने घर आकर वजन किया तो मिठाई का वजन 850 ग्राम ही निकला। 

           शर्मा जी ही क्या, ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है। कई बार हमें पता ही नहीं चलता कि अपने पैसे के बदले हमें पूरी मात्रा/वजन मिल भी रहा है या नहीं। जरूरी नहीं कि आप दुकानदार के कांटे पर जो वजन देख रहे हैं, वह सही ही हो। इसी तरह हो सकता है कि आप ऑटो-टैक्सी के मीटर से भी संतुष्ट न हों या फिर आपके घर में जो रसोई गैस सिलिंडर डिलिवर हो रहा है, उसका वजन भी कम हो सकता है। अगर आपको ऐसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है तो उसकी शिकायत जरूर करें:

जानें अधिकार :-
- दी गई कीमत के बदले ग्राहक को सही मात्रा/वजन मिले, यह तय करना राज्य के माप-तौल विभाग की जिम्मेदारी है।

-माप-तौल विभाग का काम है कि वह इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों की नियमित रूप से जांच करे और जो शख्स कम नाप या तौल रहा है, उसके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करे।

- कम तौलने या नापने वाले शख्स को जुर्माने के साथ-साथ सजा भी हो सकती है।

- छपी हुई कीमत से ज्यादा चार्ज करना दंडनीय अपराध है।

- किसी भी चीज के अधिकतम मूल्य (छपे हुए) पर अगर व्यापारी नए मूल्य का स्टिकर लगाता है, तो यह गैरकानूनी है।

- सामान की पैकिंग करने वाले व्यापारी को खुद को राज्य के माप-तौल विभाग में रजिस्टर्ड कराना जरूरी है, पैकिंग भले ही बोतल में की गई हो, टिन में की गई हो या फिर रैपर में।

- रेस्ट्रॉन्ट या होटेल से पैक कराई गई खाने-पीने की वस्तुओं पर यह नियम लागू नहीं होता।

- किसी भी पैक्ड सामान को खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उस पर उत्पादक/पैक करने वाले/आयात करने वाले का नाम व पता, उस चीज का नाम, उसका वजन, उत्पादन या आयात का महीना व साल लिखा हो। ऐसा न होने पर शिकायत जरूर करें।

- खाने-पीने के सामान पर एक्स्पायरी डेट का भी होना जरूरी है।

- मिठाई के साथ डिब्बे का वजन नहीं तौला जाता है। दुकानदार वजन अजस्ट करने की बात कहता है तो वह भी गलत है। इस तरह की अडजस्टमेंट नहीं होती। अगर कोई ऐसा करता है तो शिकायत जरूर करें।

- पेट्रोल पंप पर पेट्रोल, डीजल या दूसरी चीजों की सही मात्रा मिले, यह तय करना भी राज्य सरकार के माप-तौल विभाग की जिम्मेदारी है। अगर आपका शक सही निकलता है तो डीलर को छह महीने की सजा हो सकती है।

- पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल की मात्रा चेक करने के लिए पांच लीटर का जार उपलब्ध होता है। इस पर माप-तौल विभाग की सील व उसकी अवधि जरूर चेक कर लें।

- ऑटो-टैक्सी के मीटर तेज चलें, तो शिकायत जरूर करें।

- व्यापारी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे माप-तौल उपकरण (तराजू आदि) सही हैं या नहीं, यह परखने के लिए उपकरण पर लगी माप-तौल विभाग की सील (मुहर) चेक कर सकते हैं। इस सील पर जारी करने वाले इंस्पेक्टर का कोड, आईडी नंबर व वेरिफिकेशन का साल लिखा होता है। वैसे, माप-तौप उपकरणों पर लगी सील की जांच करने पर हमने पाया कि उस पर कुछ भी साफ नहीं है। जारी करने वाले इंस्पेक्टर का कोड/आईडी नंबर आदि कुछ भी पढ़ने लायक स्थिति में नहीं है। विभाग द्वारा जारी वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट को व्यापारियों ने डिस्प्ले नहीं कर रखा है, जबकि यह कानूनन अनिवार्य है।

- अगर आपको फिर भी संदेह है तो व्यापारी से विभाग द्वारा जारी सर्टिफिकेट दिखाने को भी कह सकते हैं। अगर वह ऐसा न करे तो उसकी शिकायत करें।

- विभाग द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट को डिस्प्ले करना व्यापारियों के लिए जरूरी है।

- लोहे के बाट व काउंटर मशीन के लिए दो साल में व इलेक्ट्रॉनिक मशीन के लिए हर साल विभाग से लाइसेंस रिन्यू कराना जरूरी है।

- अगर आप व्यापारी हैं और आपके माप-तौल उपकरण की अवधि जनवरी में खत्म हो रही है तो आप जनवरी से मार्च के बीच कभी भी बिना पेनल्टी अपने उपकरणों का वेरिफिकेशन करा सकते हैं। विभाग ने साल को चार हिस्सों में बांटा है - जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से दिसंबर।
- घर पर वजन मापने वाली मशीन रखें। इससे आप गैस सिलिंडर व रद्दी आदि का वजन कर सकते हैं।

हेल्पलाइन :-

- कोई भी ग्राहक या गैर-सरकारी संगठन कम वजन तौलने या नापने की लिखित शिकायत स्टैंर्डड्स ऑफ वेट्स ऐंड मेजर्स (एनफोर्समेंट) ऐक्ट 1985 के तहत मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट, कड़कड़डूमा, शाहदरा को कर सकता है।

- आप कंट्रोलर, माप-तौल विभाग को फोन, फैक्स, लिखित या मेल से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आमतौर पर विभाग 15 दिन के अंदर बताता है कि आपकी शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई। शिकायत करने के लिए पता है : कंट्रोलर, माप-तौल विभाग, दिल्ली सरकार, के ब्लॉक, विकास भवन, आई. पी. एस्टेट, नई दिल्ली-110002, फोन : 011-23379266, फैक्स : 011-23379267, मेल : cwmd@hub.nic.in

- अगर आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई न हो, तो आप सेक्रेटरी/कमिश्नर (फूड ऐंड सप्लाई) को उपरोक्त पते पर लिख सकते हैं। फोन : 011-23378759, फैक्स : 011-23379206

- आप फूड ऐंड सप्लाई मिनिस्टर, दिल्ली सरकार को भी लिख सकते हैं। पता है : फूड ऐंड सप्लाई मिनिस्टर, दिल्ली सचिवालय, आई. पी. एस्टेट, नई दिल्ली-110002, फोन : 011-23392126/27






ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

कटे-फटे नोट बदलने की शिकायत

दीपक वर्मा को पिछले दिनों सिक्कों (रेजगारी) की जरूरत पड़ी, जिसके लिए वह बैंक गए। कैशियर को जरूरत बताई तो उसने इनकार कर दिया। बैंक मैनेजर से मिले, तो उसने कहा कि उन्हें सिक्कों का पूरा बैग लेना पड़ेगा। इसके बाद वर्मा जी को कहा गया कि वह हफ्ते भर बाद बैंक आकर सिक्कों का बैग ले जाएं। बताए गए समय पर वर्मा जी फिर बैंक पहुंचे, लेकिन सिक्कों का बैग नहीं मिला। इसके बाद भी उन्होंने बैंक के कई चक्कर लगाए, लेकिन हर बार उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

वर्मा जी के साथ जो हुआ, वह किसी के भी साथ हो सकता है। बैंक सिक्के उपलब्ध न कराएं या फटे-पुराने नोट बदलने से इनकार करें, तो आपको इसकी शिकायत करनी चाहिए, लेकिन इसके लिए आपको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। नीचे दिए गए सभी नियम सरकारी, गैर-सरकारी, प्राइवेट व सहकारी बैंकों पर लागू होते हैं।

ये हैं आपके अधिकार

- सभी बैंकों में 'यहां दोषपूर्ण नोट बदले व स्वीकार किए जाते हैं' साफ शब्दों में आसानी से दिखाई देने वाली जगह पर डिस्प्ले होना चाहिए।

- वैसे तो सभी बैंक नोट व सिक्के एक्सचेंज करते हैं, लेकिन इनकी कुछ शाखाएं इस काम के लिए खासतौर से तय की गई हैं। इन शाखाओं की जानकारी www.rbi.org.in पर उपलब्ध है। आप अपने बैंक से भी संबंधित शाखा की जानकारी ले सकते हैं।

- एक, दो व पांच रुपये के नोट सिंगल नंबर नोट कहलाते हैं। ऐसे नोट बैंक से बदलते समय नोट के दो से ज्यादा टुकड़े नहीं होने चाहिए। नोट की कोई भी अनिवार्य विशेषता पूरी तरह गायब न हो और नोट के नंबर के सभी अंक किसी एक टुकड़े (हिस्से) पर मौजूद हों। अगर आपका नोट इन शर्तों पर खरा उतरता है, तो किसी भी बैंक की किसी भी शाखा पर आप उसे बदल सकते हैं।

- 10 रुपये या उससे ज्यादा के नोट डबल नंबर नोट कहलाते हैं। यानी नोट पर मौजूद नंबर दो जगहों पर होता है। नोट के दो से ज्यादा टुकड़े न हों और दोनों टुकड़ों पर एक नंबर हो, तो ऐसे नोट को किसी भी बैंक की किसी भी शाखा पर बदला या जमा कराया जा सकता है।

- नोट को उसी कीमत पर बदला जाता है, जितने का वह है।

- ऐसे नोट जिनका एक हिस्सा गायब हो या जिनके टुकड़ों को चिपकाकर पूरा नोट बनाया गया हो, विरूपित नोट कहलाते हैं। ऐसे नोट बैंकों की चुनी हुई शाखाओं या रिजर्व बैंक के रीजनल ऑफिसों से बदले जा सकते हैं।

- जो नोट बेहद खस्ताहाल हों, बुरी तरह जल गए हों, टुकड़े-टुकड़े हो गए हों या आपस में बुरी तरह चिपक गए हों, उन्हें बैंक ब्रांच से बदलने के लिए न कहें। ऐसे नोटों को बदलने के लिए रिजर्व बैंक जाना होगा, जहां इन्हें एक खास प्रक्रिया के तहत बदला जाता है।

- अगर आप अपने खाते में सिक्के जमा करना चाहते हैं या सिक्कों के बदले नोट चाहते हैं तो बैंक ऐसा करने के लिए बाध्य हैं।

- अगर आप छोटे नोट या सिक्के जमा करना चाहते हैं तो बैंक इनकार नहीं कर सकता।

- आप किसी भी रकम के सिक्के बैंक को दे सकते हैं, चाहे वे पांच पैसे के सिक्के ही क्यों न हों।

- सिक्कों की संख्या ज्यादा है तो अलग-अलग मूल्य वर्ग के सिक्कों को अलग-अलग रखें। बैंक इन्हें तौलकर या फिर सिक्के गिनने वाली मशीन से गिनकर स्वीकार करेगा।

- रिजर्व बैंक समय-समय पर सभी बैंकों के अधिकारियों को खराब नोटों की वापसी की ट्रेनिंग देता है, ताकि वे पूरे कॉन्फिडेंस के साथ जनता की मदद कर सकें।

- अगर आप नोटों या सिक्कों को लेकर रिजर्व बैंक जा रहे हैं तो अपनी आईडी साथ में रखें। इसके बिना आप वहां नहीं घुस पाएंगे।

- अगर बैंक सिक्के लेने या नोट बदलने से इनकार करे तो आप ब्रांच मैनेजर के पास मौजूद कंप्लेंट बुक में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

- सभी बैंकों के रीजनल मैनेजरों की यह ड्यूटी है कि वे अपने बैंकों का अचानक दौरा करें और यह सुनिश्चित कराएं कि आरबीआई के आदेशों का पालन हो रहा है।

- अगर आपको नोटों के एक्सचेंज को लेकर किसी तरह का स्पष्टीकरण चाहिए, तो आप इस पते पर लिख सकते हैं: मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001

इनसे बचें

- पे, पेड और कैंसल की मुहर लगे नोट कभी न लें। ऐसे नोट बैंक में जाने पर जब्त कर लिए जाएंगे। वैसे, बैंकों को भी निर्देश है कि वे ऐसे नोट लोगों को न दें। ये वे नोट होते हैं, जिन्हें रिजर्व बैंक चलन से बाहर कर देता है।

- अगर किसी नोट के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कोई नारा या राजनीतिक संदेश लिखा हो तो वह मान्य नहीं रह जाता, इसलिए नोट पर कभी कुछ न लिखें। नोट पर मुहर लगाना या कोई साइन बनाना भी गलत है। बैंक का स्टाफ भी अगर ऐसा करता है तो गलत है।

- नोट का कोई हिस्सा गायब हो तो किसी दूसरे नोट का हिस्सा चिपकाकर उसे पूरा करने की कोशिश न करें। आपका नोट जैसा भी है, उसी हालत में रिजर्व बैंक को दें।

- नोटों में पिन आदि न लगाएं।

- नोटों को शादी-विवाह में हार के तौर पर इस्तेमाल करना गलत है।

हेल्पलाइन

- अगर बैंक नोट न बदले, सिक्के लेने या देने से इनकार करे, नए नोट न उपलब्ध कराए, तो बैंक में मौजूद कंप्लेंट बुक में शिकायत दर्ज करें। शिकायत लिखित रूप में भी ब्रांच मैनेजर को दी जा सकती है।

- अगर आपकी शिकायत पर एक महीने तक कोई कार्रवाई न हो तो आप बैंक के हेड ऑफिस के पते पर चीफ जनरल मैनेजर को भी लिख सकते हैं।

- आप बैंकिंग ओम्बड्समैन को भी लिख सकते हैं। ओम्बड्समैन को लिखते समय अपनी शिकायत के साथ पहले किए गए पत्र-व्यवहार की सभी प्रतियां जरूर लगाएं। पता है: बैंकिंग ओम्बड्समैन, दूसरी मंजिल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, 6, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001 www.bankingombudsman.rbi.org.in पर सभी बैंकों की शिकायत की जा सकती है।

रियलिटी चेक

ज्यादातर बैंक अपना काम कम करने के लिए जनता को टरकाते रहते हैं। बार-बार चक्कर लगाने पर भी सिक्के या नए नोट उपलब्ध नहीं होते, जबकि ये ही सुविधाएं कुछ खास लोगों को आसानी से मुहैया करा दी जाती हैं। रिजर्व बैंक के काउंटरों पर हर रोज वही चेहरे लाइन में नजर आते हैं। यहां के कायदे-कानून की जानकारी भी यहीं पहुंचकर मिलती है कि आप सिर्फ पांच नोट ही बदल सकते हैं या फिर इतने नए नोट ही आपको मिलेंगे, पूरा पैकेट नहीं।


ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"